'गूंगा पहलवान’ ने की आवाज बुलंद एक बार फिर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए अपनी आवाज बुलंद की

‘गूंगा पहलवान’ ने की आवाज बुलंद एक बार फिर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए अपनी आवाज बुलंद की

'गूंगा पहलवान’ ने की आवाज बुलंद एक बार फिर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए अपनी आवाज बुलंद की
‘गूंगा पहलवान’ ने की आवाज बुलंद एक बार फिर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए

नयी दिल्ली– भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार” के लिए एक बार फिर गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह ने अपनी आवाज बुलंद की है तथा इशारों इशारों में उन्होंने हैरानी जताई है कि इतनी कड़ी मेहनत के बाद और सर्वोत्तम परिणाम देने पर ही मुझे क्यों नजर अंदाज किया जा रहा है  बोल और सुन नहीं पाने वाले खिलाड़ी वीरेंद्र सिंह के ओलंपिक खेलों यानी डेफलंपिक्स में देश के लिए पांच पदक  सहित अलग-अलग प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं को जीतने के बाद भी उन्हें अब तक इस पुरस्कार के काबिल नहीं समझा गया है।.‘गूंगा पहलवान’ वीरेंद्र सिंह ने अपने साक्षात्कार के दौरान इशारों की जुबान में कहा,‘‘ मैंने बीते कुछ वर्षों में डेफलंपिक्स में भारत के लिए पांच पदक जीत, जिनमें तीन स्वर्ण पदक शामिल हैं। मैंने मूक-बधिर पहलवानों की विश्व चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण पदक सहित सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए तीन पदक जीते हैं। लेकिन मैं लेकिन मेरी समझ से परे है कि इतनी के बाद भी मुझे अब तक खेल रत्न पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया है।

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