कौन है बाबा बेंगा जिसकी भविष्यवाणियां कर रही हैं भयभीत

कौन है बाबा बेंगा जिसकी भविष्यवाणियां  कर रही हैं भयभीत 

कौन है बाबा बेंगा जिसकी भविष्यवाणियां  कर रही हैं भयभीत 

कौन है बाबा बाबा बेंगा जिन की भविष्यवाणियां सारी दुनिया के लिए उत्सुकता और रहस्य को जन्म दे रही है बाबा बेंगा का जन्म 3 अक्टूबर 1911 को तुर्क साम्राज्य के उत्तरी मेसिडोनिया के   पारस्केल  सुरचेवा स्टोमीका मैं हुआ था  बाबा बेंगा जन्म से ही स्वास्थ्य संबंधी जटिल बीमारियों से पीड़ित थी तथा उनके जीवित रहने की संभावना भी नहीं थी ऐसी स्थिति में स्थानीय परंपराओं के अनुसार ऐसे बच्चों का नामकरण नहीं किया जाता था जिनके जीवित रहने की संभावना ना हो परंतु इस बच्चे की रोने की किलकारियां कानों में जाने पर इसके जीवित रहने की उम्मीद बनी तो इसकी दाई गली में गई और अजनबी से नाम के लिए परामर्श लिया जिसने एंड्रोमाहां का प्रस्ताव  दिया परंतु यह नाम बल्गेरियाई समाज के भीतर हेलेनिक भावना विरोधी होने के कारण अस्वीकार कर दिया तथा एक अजनबी के यूनानी नाम के प्रस्ताव को जो बल्गेरियाई संस्करण के अनुकूल था बेंगेलिया नामको  स्वीकार कर लिया गया

उनके पिता  मेसिडोनिया क्रांतिकारी संगठन कार्यकर्ता थे जिन्हें प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बल्गेरियाई सेना में शामिल किया गया था उनकी मां की मृत्यु जल्दी होने के कारण उनका पालन पोषण पड़ोसियों और करीबी पारिवारिक रिश्तेदारों के द्वारा किया गया वेंगा अपनी उम्र से अधिक बुद्धिमान थी उनका झुकाव हीलिंग विद्या की ओर था वह खेल खेल में अपनी दोस्तों को जड़ी बूटियां दिया करती थी  बेंगा की सौतेली मां थी बेंगा

   के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन तब आया जब एक बवंडर ने उसे हवा में उठा लिया और कहीं दूर ले जाकर एक खेत में फेंक दिया प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार काफी खोजबीन के बाद उसे ढूंढा गया वह बहुत ही भयभीत और डरी हुई प्रतीत हो रही थी उसकी आंखें रेत और धूल से ढकी हुई थी दर्द और पीड़ा के कारण वह अपनी  आंखों को खोल नहीं पा रही थी इस घटना के कुछ समय बाद ही बेंगा दृष्टिहीन हो गईपरंतु यही वह घटना थी जिसके बाद बाबा बेंगा को ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त हुई और भविष्य के गर्भ होने झांकने की शक्ति प्राप्त की

1925 में बंगा को जैमुन शहर के एक स्कूल मेंदाखिल करवाया जो नेत्रहीनों के लिए था जहां उन्हें ब्रेल पढ़ना पियानो बजाना खाना बनाना साफ सफाई करना सिखाया गया अपनी सौतेली मां की मृत्यु के बाद बेंगा अपने छोटे भाई बहनों की देखभाल के लिए घर लौट आई|

1939 में बेंगा को सांस की तकलीफ, खांसी, बुखार ,फेफड़ों में सूजन होने पर डॉक्टरों ने जीवित रहने की उम्मीद छोड़ दी परंतु बेंगा ने बीमारी को मात दे दी और जल्द ही ठीक हो गई| 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बाबा बेंगा के पास युद्ध में खोए अपने रिश्तेदारों की जीवित होने या उनके तलाश करनी की उम्मीद लिए आते थे इस समय तक बाबा बेंगा की भविष्य बताने की अद्भुत क्षमता लोगों को आकर्षित कर चुकी थी 1942 में बुल्गारिया के जार बोरिस तृतीय ने भी उनसे मुलाकात की

हालांकि  बाबा बेंगा पर कभी कोई किताब नहीं लिखी परंतु उसकी कहीं गई बातों को कथित तौर पर उसके स्टाफ के सदस्यों ने नोट किया तथा बाद में बाबा बेंगा के जीवन और भविष्यवाणियों पर काफी पुस्तकें लिखी गई |

कई किताबों के माध्यम से दावा किया गया है कि बाबा बैंगा सोवियत संघ के टूटने की, चेर्नोबिल आपदा की ,स्टालिन की मृत्यु की तारीख ,पहले ही बता दी थी अमेरिका पर हुई 9/11 सितंबर के हमले  की ,रूसी पनडुब्बी के डूबने की, अमेरिका में अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा | इसी तरह की अनेक भविष्यवाणियों से बाबा बेंगा का संबंध बताया जाता है |

बाबा बेंगा को जानने वाले कहते हैं की उन्होंने अपनी मृत्यु की भी सटीक तारीख की भविष्यवाणी की थी उन्होंने कहा कि वह  सपने में देख रही थी कि वह 11 अगस्त को मर जाएंगी और 13 अगस्त को उन्हें दफन किया जाएगा तथा उन्होंने यह भी कहा कि फ्रांस में रहने वाली एक 10 वर्षीय अंधी लड़की को उनकी विरासत उपहार में मिलेगी और लोग जल्द ही उसके बारे में सुनेंगे

बलगारिया भविष्य वक्ता बाबा बेंगा जो दृष्टिहीन महिला है दुनिया उन्हें उनकी भविष्यवाणियों के लिए जानती है कहते हैं बाबा बेंगा  5079 तक की भविष्यवाणी कर दी है उनके अनुसार 5079 के बाद दुनिया समाप्त हो जाएगी | 

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