Best place to visit in JABALPUR न्यू ईयर सेलिब्रेशन को बनाना है यादगार तो घूमे इन स्थानों पर
जबलपुर की यात्रा के दौरान ये जगह आपकी journey को जबलपुर घूमने का एक शानदार अनुभव देने बाली है । जबलपुर tour plan में शहर की भीड़ भाड़ से थोड़ी दूर सुकून भरे स्थान में जाना हो तो इस स्थान को घूमने की लिस्ट में अवश्य शामिल करे
भेड़ाघाट जबलपुर

जबलपुर स्थित भेड़ाघाट की संगमरमरी चट्टान अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है अगर जबलपुर में घूमने की सैर सपाटे की बातें हो रही है और भेड़ाघाट की चर्चा ना हो यह संभव नहीं भेड़ाघाट स्टेशन मरमरी वादियों में घूमने का जो आनंद है वह शायद ही कहीं हो जबलपुर में अन्य किसी भी पर्यटन स्थल की अपेक्षा सर्वाधिक भूमि जाने वाला स्थान भेड़ाघाट है। संगमरमरी चट्टान नर्मदा नदी के दोनों ओर करीब 100 फीट ऊंची है। भेड़ाघाट का वातावरण भी बेहद शांत रहता है। जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैले रंग के संगमरमर चट्टान पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है। भेड़ाघाट और यहां की संगमरमर चट्टान की खूबसूतरी उस समय चरम पर होती है जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पड़ती है। शरद पूर्णिमा की सुरमई चांदनी में भेड़ाघाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है इस दिन पर्यटक विशेष रूप से रात के समय भेड़ाघाट भ्रमण पर जाते हैं तथा पर्यटन विभाग के द्वारा वहां पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में भेड़ाघाट अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है इस माहौल में अगर आप बोट राइड करेंगें तो इस अनुभव को जीवन भर भुला नहीं पाएंगे
धुआंधार जलप्रपात एवं पंचवटी नौका विहार

धुआंधार जलप्रपात जबलपुर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश का एक महत्मपूर्ण पर्यटन स्थल है। 10 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाले इस प्रपात की छटा अनुपम है। इसकी उत्पत्ति नर्मदा नदी से होती है। यह सुरम्य प्रपात प्रसिद्ध संगमरमर की चट्टानों से निकलता है। यह प्रपात जब बड़ी धारा के साथ गिरती है तो पानी के गिरने की आवाज काफी दूर से सुनाई देती है। इस प्रपात के गिरने से उस स्थान पर कुहासा या धुंआ सा बन जाता है। इसलिए इसे धुआंधार जलप्रपात कहा जाता है। सुंदरता के लिहाज से धुआंधार जलप्रपात एक असाधारण स्थल है, जिससे पूरे साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। यह जगह अपने दोस्तों और परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए भी काफी आदर्श है। जलप्रपात के सामने काफी बड़ा खुला स्थान है। जबलपुर शहर से 25 किमी दूर स्थित यह जलप्रापत अपनी मनमोहक सुंदरता के कारण एक चर्चित पर्यटन स्थल है। सुप्रभात के आसपास रहने वाले छोटे-छोटे बच्चे पर्यटकों द्वारा धुआंधार प्रपात में सिक्के फेंके जाने पर ऊंचाई से कूदकर प्रपात में से सिक्का निकाल कर ले आते हैं जो पर्यटकों को आश्चर्य में डाल देता है यह बहुत ही रोमांचित करने वाला दृश्य होता है
बरगी डैम जबलपुर

जबलपुर का बरगी डेम नर्मदा नदी पर बने 30 डेमों में एक महत्वपूर्ण डेम है। इस डेम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है। बरगी डाइवर्शन प्रोजेक्ट और रानी अवंतीबाई लोधी सागर प्रोजेक्ट इस डेम पर विकसित की गई दो महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है। समय के साथ-साथ बरगी डेम जबलपुर के एक महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित हुआ है। पर्यटन विभाग के द्वारा दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी मध्य तक बरगी डैम में झील महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें अनेक वाटर स्पोर्ट एवं वोटिंग की व्यवस्था की जाती है सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है डैम से लगे हुए क्षेत्र में नाइट टेंट की व्यवस्था भी पर्यटन विभाग के द्वारा की जाती है डैम के पास ही निकला रिसोर्ट है जहां पर्यटकों के ठहरने की उत्तम व्यवस्था है जिसके आगे का हिस्सा डेम की ओर है। इस रिसॉर्ट से डेम और जलाशय का असाधारण नजारा देखने को मिलता है। यहां बोट राइड, फिशिंग, आदि की सुविधा भी है, जिससे बरगी डेम की यात्रा और भी मनोरंजक बन जाती है। इतना ही नहीं, डेम के आसपास के क्षेत्रों में मैना, तोता, सारस, कबूतर और स्थानीय काली गौरेया सहित अनेक पक्षियों को भी देखा जा सकता है।
कचनार सिटी शिव मंदिर

कचनार सिटी कि प्रसिद्धी यहाँ पर बहुत ऊँची शिव प्रतिमा के कारण देश विदेश में है | यह मूर्ति सन 2004 में बनकर 15 फ़रवरी 2006 मे दर्शन व पूजा के लिए तैयार कि गयी | इस मूर्ति कि ऊंचाई 76 फीट × 23 फीट है एवं यह एक गुफा के ऊपर स्थापित है , इस गुफा के अंदर 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं है जो कि देश के भिन्न-भिन्न शिव धार्मिक स्थल से लायें गए हैं |
मदन महल किला

जबलपुर स्थित मदन महल किला गोंडवाना शासकों के स्मारक के रूप में स्थापित है इसका निर्माण प्रशासक मदन शाह के द्वारा करवाया गया था उन शासकों के जीवन की गवाही के रूप में खड़ा है, जिन्होंने 11 वीं शताब्दी ईस्वी में जबलपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों पर शासन किया पर शासन किया था। किले का संबंध राजा की माता रानी दुर्गावती से भी है, जो उस समय के एक बहादुर गोंड शासक थे। यह किला, जो वर्तमान में खंडहर है, रानी दुर्गावती की आभा और उनके पूर्ण सुसज्जित प्रशासन और सेना के बारे में बताता है। पहाड़ी पर स्थित इस किले के पीछे लगा हुआ एक प्राचीन तनाव है जिसे संग्राम सागर तनाव के नाम से जाना जाता है इस तनाव में बिखरे हुए कमल इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं शाही परिवार के मुख्य सुख कक्ष, वॉर रूम, छोटे जलाशय और स्थिर घूमने लायक हैं। यह किला उस युग के लोगों के जीवन की मात्रा को बयां करता है, और यह उस समय की बेमिसाल रॉयल्टी में मदद करता है। मदन महल किला निश्चित रूप से भारत के प्राचीन स्मारकों में से एक है
डूमना नेचर पार्क जबलपुर

डुमना नेचर रिज़र्व पार्क, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित जनता के लिए खुला एक इकोटूरिज्म साइट है। 1058 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बांध, वन और वन्यजीव शामिल हैं। चीतल, जंगली सूअर, साही, सियार और कई प्रजातियों के पक्षी सहित जंगली जानवर पार्क में रहते हैं। पार्क के भीतर और आसपास तेंदुओं की साइटिंग की भी सूचना मिली है। बच्चों के पार्क और एक रेस्तरां उपलब्ध हैं। पास के खंडारी डैम में एक लटकता हुआ पुल, टेंट प्लेटफॉर्म, रेस्ट हाउस, फिशिंग प्लेटफॉर्म, टॉय ट्रेन और बोटिंग अन्य आकर्षण हैं। मगरमच्छों की उपस्थिति के कारण स्नान या तैराकी सहित पानी में गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।
बैलेंसिंग रॉक जबलपुर

जबलपुर प्राकृतिक चमत्कार – बैलेंसिंग रॉक के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्यटक स्थल मदन महल किले जाते समय रास्ते में पड़ेगा यह अद्भुत बैलेंस रॉक है जिसे देख कर ऐसा लगता है मानो किसी ने पहाड़ी को दो भागों में विभाजित करने की कोशिश की हो जो अधूरी रह गई एक भाग दूसरे से जुदा होने की कोशिश कर रहा है पर आज तक कामयाब नहीं हो पाया । विज्ञान भी इस बैलेंस रॉक को देखकर आश्चर्यचकित है जबलपुर में अनेक बार छोटे बड़े भूकंप आए और आकर चले गए पर बैलेंस रॉक आज भी पर्यटक के कौतूहल का विषय बना हुआ है चट्टान केवल थोड़ा सा स्पर्श करके विशाल आधार चट्टान पर संतुलन बनाती है। फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि 6.5 की तीव्रता के भूकंप में भी बैलेंसिंग रॉक बच गया। कहा जाता है कि इस चट्टान के संतुलन को बिगाड़ना असंभव है।
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर

कलचुरियों द्वारा 10वीं शताब्दी में निर्मित चौसठ योगिनी मंदिर देश के सबसे पुराने विरासत स्थलों में से एक है। जैसा कि नाम से पता चलता है (‘चौसठ’ का अर्थ 64 है), मंदिर में 64 श्राइन हैं जो इसके गोलाकार परिसर की दीवारों के साथ बने हैं, प्रत्येक में एक योगिनी की नक्काशीदार आकृति है, और केंद्र में एक मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। हालांकि अब ये मंदिर खंडहर में बदल गया है, जिसे 150 सीढ़ियों का सफर तय करने के बाद देखा जा सकता है। जबलपुर आ रहे हैं, तो इस मंदिर को भी अपनी ट्रैवलिंग लिस्ट में जरूर शामिल करें।भारत में केवल चुंनिंदा स्थानों में चौसठ योगिनी मंदिर मौजूद है जिनसे से एक जबलपुर के भेड़ाघाट के निकट पहाड़ी के ऊपर स्थित यह मंदिर हिन्दू देवी दुर्गा को समर्पित मंदिर है
इस प्राचीन मंदिर के वृत्ताकार आंगन के चारो तरफ छोटे -छोटे 64 मंदिरो का निर्माण किया गया है जिसके बीच में ऊँचे जगत में मुख्य मंदिर का भव्य निर्माण कराया गया था ।
शैल पर्ण उद्यान( देवताल गार्डन ) जबलपुर- devtal garden jabalpur in hindi
जबलपुर मेडिकल रोड में रामायण मंदिर देवताल तालाब के सामने स्थित इस गार्डन को बरसात के मौसम में प्राकृतक हरियाली और पहाड़ियों के खूबसूरत selfi point के लिए पर्यटक यहाँ आते है ।
गार्डन के अंदर झील और झूले मौजूद है इसके अलाबा गार्डन की हरियाली आपका दिल जीतने वाली है । यहां ओशो आश्रम भी स्थित है जहां दूर-दूर से ओशो के अनुयाई एकत्र होते हैं इसी उद्यान से लगा हुआ देवताल तलाव है जो कि काफी प्राचीन है तथा यहां देवताल नाम तलावली स्थित हुए आशा कहते हैं कि स्थानों पर देवता स्नान करने आते थे यहां पहाड़ी पर स्थित टावर पर पहुंचकर आप पूरे जबलपुर को देख सकते हैं
जब भी जबलपुर में घूमने का प्लान करे तो जबलपुर पर्यटन स्थल में इन सभी जगहों को अपनी लिस्ट में शामिल कर सकते है ।
पिसनहारी की मडिया

जबलपुर में एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल, पिसनहारी की मढ़िया लगभग 500 साल पहले एक बूढ़ी औरत द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय से संबंधित है और अक्सर पर्यटक इसकी मनोरम वास्तुकला, उत्तम डिजाइन और प्रमुख मूर्तियों को देखने के लिए आते हैं। एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह मंदिर हरे-भरे हरियाली से घिरा हुआ है जो यहां के शांत वातावरण की वजह से पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।
संग्राम सागर झील जबलपुर- sangram sagar lake jabalpur
जबलपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित यह एक मानव निर्मित झील है जो संग्राम सिंह के द्वारा 1415 से शुरू होकर 1440 में बनवाया गया था ।
भवरताल गार्डन जबलपुर- bhavartal jabalpur
यदि आप फैमिली और खास तौर पर बच्चो के साथ जबलपुर में घूमने के लिए जा रहे है तो जबलपुर शहर के मध्य में स्थित इस पार्क में घूमने के लिए जा सकते है ।
झूलो से सजा हुआ हुआ यह पार्क आपके बच्चो को काफी पसंद आएगा ।
जबलपुर पहुंचने के साधन
जबलपुर का निकटतम हवाई अड्डा
जबलपुर के निकटतम हवाई अड्डे, दुमना हवाई अड्डे शहर से केवल 20 किमी की दूरी पर है। जबलपुर मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, नागपुर, भोपाल और इंदौर से भी हवाई यात्रा से जुड़ा हुआ है।
जबलपुर पहुंचे रेल मार्ग से
जबलपुर, रेलवे के लिए मध्य भारत में एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जबलपुर रेलवे स्टेशन की रेलवे कनेक्टिविटी दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, वाराणसी, आगरा, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, नागपुर, चेन्नई कोलकाता अहमदाबाद जैसे भारत के बाकी शहरों और पर्यटन स्थलों के साथ बहुत अच्छी है
सड़क मार्ग से जबलपुर कैसे पहुंचे
जबलपुर सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग -7 जबलपुर से गुजरता है जो वाराणसी को कन्याकुमारी से जोड़ता है। जबलपुर से जुड़े निकटवर्ती महत्वपूर्ण शहर नागपुर, भोपाल, रायपुर, खजुराहो आदि हैं। रोड द्वारा, आप सड़क पर भारत में किसी भी स्थान पर जा सकते हैं।