जाने पूजा घर में रखी गरुड़ घंटी के रहस्य ,कैसी होती है गरुड़ घंटी

जाने पूजा घर में रखी गरुड़ घंटी के रहस्य ,कैसी होती है गरुड़ घंटी

जाने पूजा घर में रखी गरुड़ घंटी के रहस्य ,कैसी होती है गरुड़ घंटी
गरुड़ घंटी के रहस्य

हिंदू धर्म पूजन स्थानों में चाहे फिर वह घर हो या मंदिर घरों में घंटी एवं मंदिरों में घंटे अवश्य लगे रहते हैं। मंदिरों के द्वार पर एवं अंदर मंदिरों में बड़े छोटे घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से है हिंदू धर्म में इन घंटे घंटियों एवं द्वार घंटियों का विशेष महत्व है ।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद था। असल में घंटी की ध्वनि को उसी नाद का प्रतीक माना जाता है। घंटी के रूप में सृष्टि में निरंतर विद्यमा नाद ओंकार या ॐ की तरह है जो व्यक्ति को मूल तत्व की याद दिलाता है।

 यह एक विशेष प्रकार का नाद होता है जिसका प्रयोग आसपास के सारे वातावरण को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। यदि आपने कभी ध्यान दिया हो तो आपने देखा होगा कि अधिकतर मंदिरों के बाहर द्वार पर भगवान गरूड़ की मूर्ति ‌लगी होती है। क्योंकि गरूड़ भगवान को विष्णु का द्वारपाल और वाहन माना जाता है। अब सवाल यह आता है कि

आख़िर किस वजह से गरुड़ घंटी को पूजा के लिए प्रयोग किया जाता है।

गरुड़ घंटी का महत्व

गरुड़ घंटी वातावरण को शुद्ध रखती है

 जिन जगहों पर नियमित रूप से घंटी बजने की आवाज़ आती है वहां का वातावरण अत्यधिक पवित्र और शुद्ध बना रहता है। वातावरण में मौजूद दूषित एवं अशुद्ध सूक्ष्म जीवाणु जीवाणु घंटी की आवाज से नष्ट हो जाते हैं मर जाते हैं। इसके अलावा वहां पर रहने वाली सभी नकारात्मकता ध्वनि समाप्त हो जाती है  वहां पर खुशहाली और समृद्धि आती है। घंटी बजने का समय सुबह और शाम का होता है इसको हमेशा लयपूर्ण बजाना चाहिए। ज्यादा रात्रि काल में घंटी ध्वनि नहीं करना चाहिए कुछ विशेष मुहूर्त को छोड़कर रात्रि काल में घंटी  ध्वनि नहीं की जाती है

 सिद्धि हेतु गरुड़ घंटी ध्वनि

गरुड़ घंटी ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है जब भी हम किसी अच्छे कार्य के लिए निकलते हैं तो पूजन पाठ के पश्चात गरुड़ घंटी ध्वनि के साथ कार्य सिद्धि एवं सफलता के लिए ईश्वर से प्रार्थी होते हैं और यह घंटी ध्वनि हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है अगर आपको हर काम में असफलता मिल रही है तो शनिवार या मंगलवार के दिन पीतल की घंटी किसी मंदिर में दान कर दीजिए। ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी और आपके रूके काम भी बनने लगेंगे। इसके अलावा यदि आप अपने जीवन में तरक्की करना चाहते हैं तो भगवान की पूजा के बाद हर दिन आरती के समय पर घंटी बजाएं। 

गरुड़ घंटी ध्वनि के वैज्ञानिक फ़ायदे

गरुड़ घंटी धनी पूजन के समय जब बजाई जाती है तू एक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है घंटी बजाने के कई वैज्ञानिक लाभ भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसको बजाने के कारण तीव्र कंपन होता है और जब यह इंसान के शरीर से टकराता है तो मनुष्य का शरीर बहुत शांति एवं स्वस्थ संतुष्टि की अनुभूति होती है । इसकी आवाज़ मस्तिष्क को शांति पहुंचाती है।

गरुड़ घंटे की ध्वनि से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है 

गरुड़ घंटी को हिंदू धर्म में बहुत अधिक पवित्र माना गया है। जो व्यक्ति पूजन पाठ में गर्व घंटी की मधुर ध्वनि से अपने इष्ट देव को प्रसन्न करते हैं वे पूजन पाठ से सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं तथा अपने कार्यों में सफलता प्राप्त कर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करते हैं 

गरुड़ घंटी से परिवार के सदस्यों में आपसी सामंजस्य में  वृद्धि होती हैं 

गरुड़ घंटी को शास्त्रों में बहुत अधिक शुभ माना है परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होकर पूजन पाठ पश्चात गरुड़ घंटी ध्वनि के साथ ईश्वर को स्मरण करते हैं तथा उनकी प्रार्थना में लीन होते हैं तो परिवार में आपसी सामंजस प्रेम की वृद्धि होती है तथा परिवार एकजुट होकर जीवन व्यतीत करता है जिन घरों में हर दिन इसको बजाया जाता है वहां पर रहने वाले सभी सदस्यों के बीच आपस में तालमेल बना रहता है। आपके घर में हर दिन किसी ना किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं तो नियमित रूप से पूजा के समय गरुड़ घंटी को अपने घर में बजाएं। इसके अलावा बहुत से ज्योतिषियों के अनुसार घंटी सृष्टि के आरंभ का प्रतीक है। इसलिए जब इसको रोज़ बजाया जाता है तो इंसान सीधा ईश्वर से जुड़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि गरूड़ घंटी बजाने से मनुष्य की पूजा बहुत अधिक फलदायी और सफल हो जाती है।

तनाव में कमी तथा मानसिक शांति प्रदान करती है गरुड़ घंटी 

मानसिक रूप से बहुत परेशान रहते हैं या अकसर बहुत अधिक तनाव में रहते हैं उन लोगों के लिए पूजन में मधुर ध्वनि देने वाली गरुड़ घंटी की ध्वनि मानसिक शांति प्रदान करने वाली तथा सकारात्मक ऊर्जा से भरने वाली होती है  इसके द्वारा उनके मन को शांति मिलती है और उनके मानसिक तनाव में भी काफी कमी आती है। इसकी आवाज में भगवान नारद के संगीत का आभास होता है जो व्यक्ति को काफ़ी प्रसन्नता तथा भगवान से जुड़े रहने का आभास कराता है।घंटी की ध्वनि मन, मस्तिष्क और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। मंदिरों में जब भी आरती होती है तो घंटी की आवाज से लोगों के मन में भक्ति भाव जागृत होता है।

घर के मंदिर में इस तरह से रखें पूजा की गरुड़ घंटी, जानें गरुड़ घंटी से जुड़े वास्तु टिप्स

यदि आप अपने घर के मंदिर में या पूजन स्थान में गरुड़ घंटी का प्रयोग करते हैं तो इस घंटी को इस तरह से विराजमान करना है  इससे जुड़े कुछ वास्तु टिप्स आपको पता होना जरूरी है. 

पूजा में इस्तेमाल होने वाली चीजें यदि वास्तु के अनुसार रखी जाएं या कुछ विशेष नियमों का पालन करते हुए रखी जाएं तो इन चीजों का सकारात्मक प्रभाव जीवन में पड़ सकता है, आज हम बात कर रहे हैं पूजा की गरुड़ घंटी की. पूजा की गरुड़ घंटी को यदि मंदिर में वास्तु के अनुसार रखा जाए तो इसके कई शुभ फल आपको मिल सकते हैं. ऐसे में वास्तु टिप्स के बारे में पता होना जरूरी 

पूजा की गरुड़ घंटी से जुड़े वास्तु टिप्स

  • जब भी आप घंटी को पूजा के मंदिर में रखें तो हमेशा गरुड़ घंटी को ऐसे स्थान पर रखें कि हमेशा आप उसे सीधे हाथ से ऊपर के भाग से उठाने घंटी मंदिर में ऐसे स्थान पर रखें कि जब भी आप उसे उठाओ त
  • कभी भी पूजा की गरुड़ घंटी दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए. वरना इससे नकारात्मक प्रभाव आपके घर में पड़ सकता है.
  • पूजा की गरुड़ घंटी को दाएं हाथ से ही बजाना चाहिए. ध्यान रखें कि जब भी आप घंटी को स्थापित करें तो इसका मुख सामने की तरफ होना चाहिए.
  • कभी भी घंटी को उल्टी करके नहीं रखना चाहिए. घंटी पर गरुड़ भगवान का चित्र अंकित होता है जो कि विष्णु भगवान के द्वारपाल माने जाते हैं जिन्हें एक संदेश वाहक के रूप में जाना जाता है. ऐसे में यदि आप घंटी को उल्टा करके रखते हैं तो इसका मतलब आप भगवान विष्णु को नाराज करने का कार्य करते हैं.
  • वैसे तो हर प्रकार की घंटी शुभ होती है लेकिन गरुड़ भगवान को विष्णु जी का वाहक माना जाता है. ऐसे में यदि घर में गरुड़ घंटी रखी जाए तो मन की सभी इच्छाएं भगवान विष्णु तक पहुंच सकती हैं.
  • ऐसे में यदि आप गरुड़ घंटी घर में रख रहे हैं जिससे नियमित रूप बजाएं और इस घंटे को बाई तरफ स्थापित करें घंटी को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए.

मंदिर छोटा हो या बड़ा, हर धार्मिक स्थान पर घंटी जरूर लगाई जाती है। घंटियों की आवाज मंदिरों की पहचान है और पुराने समय से ही मंदिरों में घंटियां लगाने की परंपरा चली आ रही है। मंदिर में घंटी लगाने और वहां घंटी बजाने के पीछे धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी हैं।

सूर्यास्त के बाद गरुड़ घंटी का प्रयोग ना करें विशेष अवसरों को छोड़कर

आमतौर पर पूजा-पाठ में ज्यादातर घड़ी घंटी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन जिस तरह शंख का रात में प्रयोग नहीं करना चाहिए, उसी तरह घंटी का भी प्रयोग करने से बचना चाहिए। शंख की तरह घंटी बजाने से शुप्त जीव प्रभावित होते हैं। इसलिए शास्त्रों में बताया है कि सूर्यास्त के बाद घंटी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कितने प्रकार की होती हैं घंटियां, पूजा स्थल में

धार्मिक शास्त्रों में ऐसी कई चीज़ों के बारे में बताया गया है, जिन्हें घर के मंदिर में रखना शुभ माना जाता है। इन्हीं में से एक है मंदिर की घंटी। आप में से लगभग लोगों ने देखा होगा कि मंदिरों आदि के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन समय से चला आ रहा है। ती वहीं घर के पूजा स्थल में भी गरुड़ घंटी को रखा जाता है। वास्तु व धर्म शास्त्र के अनुसार सृष्टि की रचना में ध्वनि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हिंदू धर्म के सिद्धांत के अनुसार ध्वनि से प्रकाश की उत्पत्ति और बिंदु रूप प्रकाश से ध्वनि की उत्पत्ति होती है। जिस कारण घंटी रूप में ध्वनि को मंदिर या पूजा घर में रखा जाता है। तो आइए जानते हैं इसी गरुड़ घंटी से जुड़ी खास बातें, तथा इसे घर में रखने से क्या फायदे होते हैं। 

धार्मिक और वास्तु के अनुसार घंटियां 4 प्रकार की होती हैं- गरूड़ घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा। जिनमें से गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जाता है। द्वार घंटी द्वार पर लटकी होती है। जो बड़ी और छोटी दोनों ही आकार में मिलती है। 

हाथ वाली घंटी पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है, जिसको लकड़ी के एक गद्दे से मारकर बजाया जाता है। इसके अलावा घंटा बहुत बड़ा होता है। यह लगभग 5 फुट लंबा और चौड़ा होता है। जिसे बजाने के बाद इसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई देती है। गुरुड़ घंटी का मुख गुरुड़ के समान ही होता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गरुड़ को श्री हरि विष्णु के वाहन और द्वारपाल माने जाते हैं। 

घंटी एक खास प्रकार का नाद माना जाता है, जिसकी ध्वनि से आसपास का वातावरण को शुद्ध होता है तथा इसे बजाने व सुनने वाले व्यक्ति का चित शुद्ध होता है।  वास्तु के अनुसार घंटी बजाने से वातावरण में एक कंपन पैदा होता है, जिससे वायुमंडल के जीवाणु, विषाणु आदि नष्ट होते हैं।

पूजा घर या मंदिर में प्रात: और संध्या को आरती के समय घंटी बजाने से मन शांत होता है तथा तनाव दूर हो जाता है। 

वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं जहां निरंतर रूप से घंटी बजाई जाती है, वहां से नकारात्मक शक्तियां व तमाम तरह के वास्तु दोष दूर होते हैं तथा सुख-समृद्धि बढ़ती है।   नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वारा खुलते हैं। इससे सभी तरह के वास्तुदोष भी दूर हो जाते हैं।

इसके अतिरिक्त स्कंद पुराण में कहा गया है कि घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट होते हैं

अमूमन तौर पर घंटी और पूजा यंत्र दोनों ही ऐसी वस्तुएं जिनके तोत्त्ने के आसार बहुत कम बनते हैं लेकिन अगर ऐसा होता है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं। घंटी का टूटना यह दर्शाता है कि आप तनाव ग्रस्त हैं और नकारात्मक ऊर्जा या सोच से भर गए हैं। वहीं, पूजा यंत्र का टूटना इस बात का वर्णन करता है कि आपने जिस भी मनोकामना के हेतु उस यंत्र को घर या पूजा स्थल में स्थापित किया है वह कामना अनुचित है।

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